धार्मिक उन्माद
के इस दौर में भगत सिंह के कुछ विचार
"जब गतिरोध की स्थिति लोगों को अपने शिकंजे में जकड़ लेती है
तो किसी भी प्रकार की तब्दीली से वे हिचकिचाते हैं। इस जड़ता और निष्क्रियता को
तोड़ने के लिये एक क्रान्तिकारी स्पिरिट पैदा करने की जरूरत होती है, अन्यथा पतन और बर्बादी का वातावरण छा जाता
है।... लोगों को गुमराह करने वाली प्रतिक्रियावादी शक्तियाँ जनता को गलत रास्ते पर
ले जाने में सफल हो जाती हैं। इससे इन्सान की प्रगति रुक जाती है और उसमें गतिरोध
आ जाता है। इस परिस्थिति को बदलने के लिये यह जरूरी है कि क्रान्ति की स्पिरिट
ताजा की जाये, ताकि इन्सानियत
की रूह में हरकत पैदा हो।"
"धार्मिक अन्धविश्वास और कट्टरपन हमारी प्रगति में बहुत बड़े
बाधक हैं। वे हमारे रास्ते के रोड़े साबित हुए हैं और हमें उनसे हर हालत में
छुटकारा पा लेना चाहिये। ‘जो चीज आजाद
विचारों को बरदाश्त नहीं कर सकती उसे समाप्त हो जाना चाहिए।’ इस काम के लिये सभी समुदायों के क्रान्तिकारी
उत्साह वाले नौजवानों की आवश्यकता है।"
"धर्म का रास्ता अकर्मण्यता का रास्ता है, सब कुछ भगवान के सहारे छोड़ हाथ पे हाथ रखकर
बैठ जाने का रास्ता है, निष्काम कर्म की
आड़ में भाग्यवाद की घुट्टी पिला कर देश के नौजवानों को सुलाने का रास्ता। मैं इस
जगत को मिथ्या नहीं मानता। मेरे लिए इस धरती को छोड़ कर न कोई दूसरी दुनिया है न
स्वर्ग। आज थोड़े-से व्यक्तियों ने अपने स्वार्थ के लिए इस धरती को नरक बना डाला
है। शोषकों तथा दूसरों को गु़लाम रखने वालों को समाप्त कर हमें इस पवित्र भूमि पर
फिर से स्वर्ग की स्थापना करनी पड़ेगी।"
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असल बात यह है - मज़हब तो है सिखाता आपस में बैर रखना.. हिन्दुस्तानियों की
एकता मज़हबों के मेल पर नहीं होगी, बल्कि मज़हबों की
चिता पर होगी.. एक तरफ तो ये मज़हब एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं ... लेकिन जहाँ गरीबों को
चूसने और धनियों की स्वार्थ-रक्षा का प्रश्न आ जाता है, तो दोनों एक बोली बोलते हैं। (तुम्हारी क्षय)
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कोई नहीं पूछेगा,
कब नन्हे हाथों ने चिकने पत्थर से,
तलाब में खूबसूरत लहरें उठाई !
पूछेंगे जंग की तैयारी कब शुरू हुई?
कोई नहीं पूछेगा,
कब हुस्न कमरे में दाखिल हुआ !
पूछेंगे अवाम के खिलाफ
साजिशें कब रची गईं?
कोई नहीं पूछेगा,
अखरोट का दरख्खत कब झूम उठा,
पूछेंगे सरकार ने कब मजदूरों को
कुचल के रख दिया?
नहीं कहेंगे, कि वक्त बुरा था!
पूछेंगे कि तुम्हारे फनकार क्यों खामोश थे?
- बेर्टोल्ट
ब्रेष्ट
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