कभी-कभी पहाड़ों में हिमस्खमलन सिर्फ एक ज़ोरदार आवाज़ से ही शुरू हो जाता है

Saturday, October 11, 2014

आज शिक्षा एक बिकाऊ माल बन चुकी है!

आज शिक्षा एक बिकाऊ माल बन चुकी है!‘‘शिक्षा सबका अधिकार’’ का ढोल पीटने वाली सरकारें शिक्षा को एक बिकाऊ माल में तब्दील कर रही हैं! एक ओर अमीरों के लिये महंगे पांच-सितारा स्कूल, काँलेज, विश्वविद्यालये हैं तो आम मेहनतकश जनता के लिये खस्ताहाल सरकारी स्कूल और नवोदय विद्यालय। पर देश के करोड़ों मेहनतकश लोग जिन्हें कठोर मेहनत के बावजूद ठीक से खाना तक नहीं मिलता वे इतनी मंहगी शिक्षा को कैसे खरीद सकते हैं? पर मुनाफ़े की हवस पर टिकी व्यवस्था में यही हो सकता है। 1990 के बाद से जारी ‘‘उदारीकरण, निजीकरण, भूमण्डलीकरण’’ की विनाशकारी नीतियों के चलते सरकारें सब कुछ निजी पूंजीपतियों के हाथों में बेच रही हैं ताकि वे अकूत मुनाफ़ा कूट सकें और अब सरकार ने जनता का अनिवार्य व मुफ़्त शिक्षाप्राप्त करने का बुनियादी हक़ भी पूंजीपतियों को बेच दिया है ! गली-गली में प्राईवेट स्कूल, काँलेज, कोचिंग इंस्टीट्यूट, विश्वविद्यालय कुकुरमुत्ते की तरह खुल गये हैं और छात्रों व नौजवानों  को लूटरहे हैं! इधर राजस्थान सरकार 17 हज़ार सरकारी स्कूल बंद करने वाली हैऔर उधर शिमला में सरकारी काँलेजों में कईगुना फ़ीस वृद्धी की जा चुकी है जिसके चलते छात्र-नौजवान आन्दोलनरत हैं! इससे पहले कि धीरे-धीरे करके हमारे तमाम अधिकार कुर्क हो जाएं और हमारा सब कुछ छीनकर सरकार चंद पूंजीपतियों के हाथों में बेच डाले, हमें इसे रोकने के लिये मिलजुल कर कदम उठाने होंगे। हमें तो ऐसा ही लगता है। आपको क्या लगता है?



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