कभी-कभी पहाड़ों में हिमस्खमलन सिर्फ एक ज़ोरदार आवाज़ से ही शुरू हो जाता है
Saturday, October 26, 2013
Thursday, October 17, 2013
जाति-धर्म के झगड़े छोड़ो, सही लड़ाई से नाता जोड़ो [- भगत सिंह]
साथियो, धर्म की राजनीति के नाम पर देश को दंगों की आग में झोंकने के शासक
वर्ग के मंसूबों को नाकाम करने के लिए आपस में फ़ौलादी एकता कायम करो!

पिछले 66 सालों के शासन के बाद आज देश की 65 फ़ीसदी
आबादी ग़रीब है और 77 फ़ीसदी की औसत आय मात्र 20 रुपया रोज़ है और ये सभी चुनावी
धंधेबाज़ जानते हैं कि महँगाई-ग़रीबी-बेरोज़ग़ारी की मार झेल रही जनता को
जाति-धर्म के नाम पर लड़ाया नहीं गया तो वह एकजुट होकर लूट और लालच पर टिकी पूरी
पूँजीवादी व्यवस्था को ही उखाड़कर इतिहास की कचरापेटी के हवाले कर देगी। यही कारण
है कि ये तमाम चुनावी मदारी जात-धर्म
की गंदी राजनीति करते हैं। इसलिये हम लोगों को इन चुनावी पार्टियों की असलियत का
भण्डाफोड़ करके जनता को बताना चाहिये कि ये पार्टियाँ देश की आम मेहनतकश जनता के
लिये नहीं बल्कि टाटा, बिरला, और अंबानी के लिये हैं। भगत सिंह ने भी कहा था कि "लोगों को परस्पर लड़ने से रोकने के लिए
वर्ग-चेतना की ज़रूरत है। ग़रीब मेहनतकशों और किसानों को स्पष्ट समझा देना चाहिए
कि तुम्हारे असली दुश्मन पूँजीपति हैं, इसलिए
तुम्हें इनके हथकण्डों से बचकर रहना चाहिए और इनके हत्थे चढ़कर कुछ न करना चाहिए।"
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